पिछड़ा वर्ग ब्यूरो के अंतर्गत मंत्रालय को पिछड़े वर्गों के लिए स्कीमों का कार्यान्वयन करके, उनके कल्याण हेतु कार्य करने का अधिदेश दिया गया है। मंत्रालय राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) जिसकी स्थापना 1993 में हुई थी, से संबंधित कामकाज भी देखता है। आयोग मंत्रालय को अन्य पिछड़े वर्गों की केन्द्रीय सूची में शामिल करने के लिए जातियों, उप-जातियों, पर्याय और समुदायों के संदर्भ में सलाह देता है।
पिछड़े वर्गों का तात्पर्य अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के अलावा नागरिकों के ऐसे पिछड़े वर्गों से है जिसे नागरिकों के पिछड़े वर्ग, जिनको सरकार के विचार से भारत सरकार या भारत के क्षेत्र या भारत सरकार के नियंत्रणाधीन किसी स्थानीय या अन्य प्राधिकरण के तहत सेवाओं में पर्याप्त प्रतिनिधित्व न प्राप्त हुआ हो, के पक्ष में नियुक्तियों या पदों के आरक्षण के लिए प्रावधान बनाने के उद्देश्य हेतु समय-समय पर भारत सरकार द्वारा तैयार सूची में केन्द्र सरकार द्वारा विनिर्दिष्ट किया जाए।
1985 से पहले पिछड़े वर्गों से संबंधित कार्य गृह मंत्रालय के पिछड़े वर्ग प्रकोष्ठ (बीसीसी) द्वारा देखे जाते थे। 1985 में अलग से कल्याण मंत्रालय (जिसे 25.05.1998 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के रूप में पुन: नामित किया गया) के सृजन के साथ अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़े वर्ग तथा अल्पसंख्यकों से संबंधित कार्यों को नए मंत्रालय में स्थानान्तरित कर दिया गया। अनुसूचित जनजाति तथा अल्पसंख्यकों के लिए दो अलग मंत्रालयों के सृजन होने के फलस्वरूप इन दो श्रेणियों से संबंधित मामलों को संबंधित मंत्रालयों को अंतरित कर दिया गया। मंत्रालय का पिछड़ा वर्ग प्रभाग ओबीसी के सामाजिक और आर्थिक सशक्तिकरण से संबंधित कार्यक्रमों की नीति, योजना तथा कार्यान्वयन मामलों को देखता है। यह ओबीसी के कल्याण के लिए स्थापित दो संगठनों, नामत: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग वित्त एवं विकास निगम (एनबीसीएफडीसी) तथा राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) से संबंधित मामलों को भी देखता है।