समाज रक्षा - प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न
वरिष्ठ नागरिक प्रभाग के संबंध में प्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न
जनसांख्यिकी
60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की जनसंख्या कितनी है?
उत्तर: भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा प्रकाशित राष्ट्रीय जनसंख्या आयोग द्वारा गठित जनसंख्या अनुमान संबंधी तकनीकी समूह की रिपोर्ट, मई 2006 के अनुसार 1 मार्च, 2001-2026 की स्थिति के अनुसार 60 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों की लिंगानुसार अनुमानित जनसंख्या निम्नानुसार है:-
लाख में
वर्ष |
पुरूष |
महिला |
व्यक्ति |
2001 |
34.94 |
35.75 |
70.69 |
2006 |
40.75 |
42.83 |
83.58 |
2011 |
48.14 |
50.33 |
98.47 |
2016 |
58.11 |
59.99 |
118.10 |
2021 |
70.60 |
72.65 |
143.24 |
2026 |
84.62 |
88.56 |
173.18 |
भारत में वृद्ध जनसंख्या की मुख्य विशेषताएं क्या है?
उत्तर: वृद्ध जनसंख्या की प्रोफाइल दर्शाती है कि-
1. इनमें से अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों में रहते हैं।
2. वृद्ध जन संख्या का स्त्रीकरण और-
3. वयोवृद्ध (80 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्ति) की संख्या में बढ़ोत्तरी; और
4. वृद्ध जनो का एक बड़ा प्रतिशत (30 प्रतिशत) गरीबी रेखा से नीचे गुजर-बसर करता है।
देश की कुल जनसंख्या में वृद्ध लोगों का हिस्सा कितना है?
उत्तर: 1 मार्च, 2001-2026 को कुल अनुमानित जनसंख्या में 60 वर्ष से अधिक की आयु वाले लोगों की लिंगानुसार अनुमानित जनसंख्या का प्रतिशत हिस्सा इस प्रकार है-
वर्ष |
पुरूष |
महिला |
व्यक्ति |
2001 |
6060 |
7.10 |
6.90 |
2006 |
7.10 |
8.00 |
8.50 |
2011 |
7.70 |
8.70 |
8.30 |
2016 |
8.70 |
8.90 |
9.30 |
2021 |
10.20 |
11.30 |
10.70 |
2026 |
11.80 |
13.10 |
12.40 |
स्रोत: भारत के महापंजीयक का कार्यालय
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 की महत्वपूर्ण विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 में माता-पिता/दादा-दादी को उनके बच्चों द्वारा आवश्यकता आधारित भरण-पोषण प्रदान करने की परिकल्पना की गई है। माता-पिता के भरण-पोषण दावों का समयबद्ध निपटान करने के प्रयोजनार्थ अधिकरणों की स्थापना की जाएगी। अधिकरण की कार्यवाही में किसी भी स्तर पर वकीलों को भागीदारी से प्रतिबंधित किया गया है।
माता-पिता और वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 में वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और सम्पत्ति की रक्षा, बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, प्रत्येक जिले में वृद्धाश्रम स्थापित करने जैसे समर्थकारी प्रावधान भी शामिल हैं।
अधिनियम की प्रयोज्यता क्या है?
उत्तर: यह अधिनियम जम्मू कश्मीर राज्य को छोड़कर सम्पूर्ण भारत पर लागू है तथा यह भारत से बाहर भारतीय नागरिकों पर भी लागू है। (धारा 1 (2))
राज्यों में यह अधिनियम कब लागू होगा ?
उत्तर: यह अधिनियम राज्यों में उस तिथि से लागू होगा जब राज्य सरकार सरकारी राजपत्र में अधिसूचना के जरिए इसे लागू करें। (धारा 1 (3))
अधिनियम के तहत बच्चा/बच्चे की परिभाषा क्या है?
उत्तर: अधिनियम ‘बच्चों’ को पुत्र, पुत्री, पोता, पोती के रूप में परिभाषित करता है जो नाबालिग नहीं हैं।
अधिनियम के तहत भरण-पोषण क्या है:
उत्तर: ‘भरण-पोषण’ में भोजन, कपड़ा, चिकित्सकीय देखभाल तथा उपचार शामिल है।
अधिनियम के तहत वरिष्ठ नागरिक की क्या परिभाषा है?
उत्तर: ‘वरिष्ठ नागरिक’ का तात्पर्य भारत का कोई नागरिक जिसकी आयु 60 वर्ष या उससे अधिक हो।
अधिनियम के प्रावधानों के तहत भरण-पोषण का दावा करने के लिए कौन पात्र हैं?
उत्तर: अधिनियम में प्रावधान है कि वरिष्ठ नागरिक सहित माता-पिता जो अपनी स्वयं की आय अथवा अपनी संपत्ति से अपना भरण-पोषण करने में असमर्थ हैं, भरण-पोषण का दावा करने के लिए आवेदन करने का पात्र है।
क्या दावाकर्ता के अलावा कोई और व्यक्ति उसकी ओर से आवेदन दायर कर सकता है:
उत्तर: भरण-पोषण हेतु आवेदन किया जा सकता है-
क्या अधिकरण के पास कार्यवाही के दौरान दावाकर्ता को निर्वाह भत्ता प्रदान करने का कोई प्रावधान है?
उत्तर: अधिकरण इस धारा के तहत भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ते से संबंधित कार्यवाही के निर्णय आने तक माता-पिता सहित ऐसे वरिष्ठ नागरिक को अंतरिम भरण-पोषण के लिए मासिक भत्ते की व्यवस्था करने हेतु ऐसे बच्चों या संबंधियों को आदेश दे सकता है तथा माता-पिता सहित ऐसे वरिष्ठ नागरिक को समय-समय अधिकरण के आदेशानुसार इसका भुगतान करने को कह सकता है।
भरण-पोषण दावे के आवेदन का निपटान करने की समय सीमा क्या है?
उत्तर: भरण-पोषण और कार्यवाही के लिए खर्चों हेतु मासिक भत्तों के लिए उप-धारा (2) के तहत दायर आवेदन को ऐसे व्यक्ति को आवेदन का नोटिस देने की तिथि से 90 दिनों के भीतर निपटाया जाएगा। तथापि, अधिकरण उक्त अवधि को, लिखित में कारण दर्ज करते हुए अपवादात्मक मामलों में अधिकतम 30 और दिनों के लिए एक बार बढ़ा सकता है।
राज्यों द्वारा अधिनियम को कार्यान्वित करने का निगरानी तंत्र क्या है?
उत्तर: भारतीय संविधान की समवर्ती सूची (अनुसूची VII) की प्रविष्टि 23 के साथ पठित अनुछेद 41 के उपबंधों के अनुसरण में इस अधिनियम का अधिनियमन किया गया है। राज्य सरकारों से अधिनियम को अधिसूचित करने तथा अधिनियम के प्रावधानों का क्रियान्वयन करने के लिए नियम बनाना अपेक्षित हे। तथापि, अधिनियम की धारा 30 केन्द्र सरकार को अधिनियम के प्रावधानों को कार्यान्वित करने के लिए राज्य सरकारों को निर्देश देने के लिए समर्थ बनाती है। इसके अलावा, अधिनियम की धारा 31 राज्य सरकारों द्वारा अधिनयिम के कार्यान्वयन की प्रगति की निगरानी और आवधिक समीक्षा का उपबंध करती है। मंत्रालय, राज्यों द्वारा अधिनियम के उपबंधों का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए, इन उपबंधों के अनुसार कार्य करेगी।
क्या राज्यों द्वारा अधिकरण स्थापित करने के लिए कोई समय-सीमा तय की गई है?
उत्तर: राज्य सरकारों से अपेक्षित है कि वे इस अधिनियम के लागू होने की तिथि से 6 महीनों की अवधि के भीतर प्रत्येक उपमंडल में आवश्यकतानुसार एक या अधिक अधिकरण स्थापित करें।
भरण-पोषण आदेश का प्रभाव क्या होता है?
उत्तर: अधिनियम के अंतर्गत दिए गए भरण-पोषण आदेश का प्रभाव दंड प्रक्रिया संहिता के अध्याय IX के तहत पारित आदेश के समान होगा और संहिता में निर्धारित आदेश क्रियान्वयन के अनुरूप ही इसका क्रियान्वयन किया जाएगा।
इस अधिनियम के तहत कौन अपीलीय प्राधिकारी से अपील कर सकता है?
उत्तर: अधिकरण के आदेश से दुखी वरिष्ठ नागरिक या माता-पिता, जैसा भी मामला हो, आदेश की तारीख से 60 दिनों के भीतर अपीलीय अधिकरण में अपील कर सकते हैं।
अपील निस्तारण के लिए किसी अपीलीय प्राधिकरण हेतु क्या समय-सीमा है?
उत्तर: अपीलीय अधिकरण से अपील प्राप्त होने के एक माह के भीतर लिखित में अपना आदेश सुनाने का प्रयास करना अपेक्षित है।
क्या अधिकरण का भरण-पोषण आदेश लागू करने के संबंध में कोई दण्डात्मक प्रावधान है?
उत्तर: जी, हां। अधिकरण द्वारा दिए गए भरण-पोषण आदेश का प्रभाव दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के तहत पारित भरण-पोषण आदेश जैसा ही होगा। इसमें 1 माह तक की कैद और जुर्माना लगाने के लिए प्रदत्त तरीके में देय धनराशि प्रभारित करने हेतु वारंट जारी करना भी शामिल है।
वसीयत का प्रतिसंहरण करने के बारे में क्या प्रावधान हैं?
उत्तर: अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार वरिष्ठ नागरिक कोई भी संपति प्रतिसंहरित कर सकते है, जो इस शर्त पर बच्चों/संबंधियों के पक्ष में अंतरित की जा चुकी है कि ऐसे बच्चे/संबधी उनको भरण-पोषण प्रदान करेंगे किंतु वे ऐसा नही कर रहे हैं। अधिकरण माता-पिता के आवेदन पर ऐसे अंतरण को निष्प्रभावी घोषित करने का अधिकार रखता है।
क्या बच्चों के लिए कोई जुर्माना/कैद है जो अपने माता-पिता को छोड़ देते हैं?
उत्तर: जी, हां। माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 में बच्चों द्वारा अपने माता-पिता को छोड़ने की प्रवृत्ति को हतोत्साहित करने के लिए 3 माह तक की सजा तथा 5,000/रू. का जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।
दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 और माता-पिता एवं वरिष्ठ नागरिक भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के बीच क्या समानताएं हैं?
उत्तर: कोई माता-पिता या तो दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 125 के अंतर्गत स्थापित न्यायालय या भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के अंतर्गत स्थापित अधिकरण से निर्धारित तरीके से भरण-पोषण का दावा कर सकता है यदि वह स्वयं का भरण-पोषण करने में असमर्थ है। इन्हें लागू करने के दण्डात्मक प्रावधान दंड प्रक्रिया संहिता/ भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम, 2007 के तहत गठित अधिकरण दोनो में समान हैं।
अधिनियम में वरिष्ठ नागरिकों को चिकित्सा सुविधाओं हेतु क्या प्रावधान किए गए हैं?
उत्तर: अधिनियम में प्रावधान है कि राज्य सरकारें सुनिश्चित करेगी कि-
सरकारी अस्पताल या सरकार द्वारा पूर्णत: या अंशत: वित्तपोषित अस्पताल निम्न व्यवस्था करेगा; यथासंभव सभी वरिष्ठ नागरिकों के लिए बेड की व्यवस्था हो; वरिष्ठ नागरिकों के लिए अलग पंक्ति हो; वरिष्ठ नागरिकों को लम्बी बीमारी, टर्मिनल तथा क्षयकारी रोगों के उपचार की सुविधा प्रदान की जाए; लम्बी वृद्धावस्था की बीमारियों तथा भरण के लिए शोध कार्य-कलाप किए जाएं; जरा-चिकित्सा में अनुभव वाले चिकित्सा अधिकारी की अध्यक्षता में प्रत्येक जिला अस्पताल में जरा-मरीजों के लिए निश्चित सुवधाएं हों।
अधिनियम में प्रदत्त वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और सम्पति की रक्षा के प्रावधान क्या हैं?
उत्तर: अधिनियम में पुलिस अधिकारियों और न्यायिक सेवा के सदस्यों सहित केन्द्र तथा राज्य सरकारों के अधिकारियों को अधिनियम से संबंधित मुद्दों पर आवधिक सुग्राहीकरण तथा जागरूकता प्राशिक्षण दिया जाना अपेक्षित है। इसके अलावा, राज्य सरकार वरिष्ठ नागरिकों के जीवन और सम्पति की रक्षा के लिए व्यापक कार्य योजना निर्धारित करेगी।
वरिष्ठ नागरिकों के परित्याग को रोकने के लिए अधिनियम में क्या प्रावधान किए गए हैं?
अधिनियम में प्रावधान है कि वरिष्ठ नागरिक की देखभाल और सुरक्षा करने वाला कोई भी व्यक्ति ऐसे वरिष्ठ नागरिक को पूर्णतया छोड़ने की भावना से किसी भी स्थान पर छोड़ता है तो 3 माह तक की कैद या पांच हजार रू. तक के जुर्माने या दोनों की सजा का भागी होगा।
राज्यों द्वारा अधिनियम के प्रावधान का कार्यान्वयन करने का निगरानी तंत्र क्या है?
उत्तर: केन्द्र सरकार राज्य सरकारों द्वारा अधिनियम के प्रावधानों के क्रियान्वयन की प्रगति की आवधिक समीक्षा तथा निगरानी कर सकती है।
राष्ट्रीय वृद्धजन नीति
राष्ट्रीय वृद्धजन नीति की मुख्य विशेषताएं क्या हैं?
उत्तर: सरकार ने राष्ट्रीय वृद्धजन नीति तैयार की है जो वृद्ध व्यक्तियों से संबंधित सभी पहलुओं को कवर करने के लिए वर्ष 1999 में घोषित की गई थी।
राष्ट्रीय नीति की प्रमुख विशेषताएं निम्नानुसार है:-
राष्ट्रीय वृद्धजन नीति को कार्यान्वित करने का तंत्र क्या है?
उत्तर: राष्ट्रीय वृद्धजन नीति के पैरा 95 के प्रावधानो के अनुसार, सरकार ने सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री की अध्यक्षता में 10 मई, 1999 को एनसीओपी का गठन किया था। एनसीओपी वृद्धजनों के लिए कल्याण नीति और कार्यक्रम तैयार करने तथा क्रियान्वित करने में सलाह देने तथा सरकार के साथ समन्वय करने के लिए शीर्षस्थ संस्था है। एनसीओपी को 2005 को में पुनर्गठित किया गया था। एनसीओपी की वर्तमान संख्या 47 है।
इसके अलावा, मंत्रालय ने राष्ट्रीय वृद्धजन नीति का कार्यान्वयन करने तथा एनसीओपी की सिफारिशों पर कार्रवाई करने के उद्देश्य से सचिव (एसजेई) की अध्यक्षता में अन्तर मंत्रालयी समिति का गठन किया है। मंत्रालय एनसीओपी तथा आईएमसी के माध्यम से वृद्ध व्यक्तियों संबंधी राष्ट्रीय नीति के कार्यान्वयन के संबंध में प्रगति की समीक्षा करता है।
‘वृद्धावस्था’ को परिभाषित करने के लिए 60 + आयु अपनाने के लिए राष्ट्रीय वृद्धजन नीति क्या है?
वृद्धावस्था प्रक्रिया एक जैविक सच्चाई है जिसकी अपनी गतिकी है और यह मोटे तौर पर मानव नियंत्रण से परे है। अधिकांश विकसित वैश्विक भागों में 60 वर्ष की आयु को आमतौर पर सेवा निवृत्ति की आयु माना जाता है और इसे वृद्धावस्था की शुरूआत माना जाता है। इस समय, संयुक्त राष्ट्र का अंकीय मानक नहीं है लेकिन संयुक्त राष्ट्र की वृद्धजन संख्या दर्शाने की सहमति प्राप्त कट आफ 60+ आयु परिणामस्वरूप, राष्ट्रीय वृद्धजन नीति ने वृद्ध व्यक्तियों के लिए 60+आयु अपनाई है।
सहायता अनुदान स्कीमें
कौन सी स्कीमों के तहत वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण हेतु वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है?
उत्तर: सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय दो स्कीमों के तहत गैर सरकारी संगठनों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के माध्यम से वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण हेतु कार्यक्रमों को समर्थन देता है। जिनका ब्यौरा निम्ननुसार है:-
क्या सरकार वृद्ध व्यक्तियों के कल्याण हेतु स्कीमों का संशोधन कर रहा है?
उत्तर: मंत्रालय ने एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम की मौजूदा योजनागत स्कीम में गैर-योजनागत स्कीमों के निम्नलिखित घटकों का विलय करके 01.04.2016 से 'एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम (आईपीओपी)' को हाल ही में संशोधित किया है :-
''एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम'' योजना के लागत मानदंडों में 01.04.2015 से पहले ही संशोधन कर दिया गया है।
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम में विभिन्न परियोजनाओं का कार्यान्वयन करने के लिए सहायता अनुदान प्राप्त करने हेतु कौन सी एजेंसियां पात्र हैं?
उत्तर: इस मंत्रालय द्वारा निर्धारित नियम एवं शर्तों के अधीन योजना के अंतर्गत निम्नलिखित एजेंसियों को सहायता दी जाती है-
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता के लिए स्वीकार्य परियोजनाएं कौन सी हैं?
उत्तर: एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम की संशोधित स्कीम के अंतर्गत सहायता के लिए स्वीकार्य परियोजनाएं/कार्यक्रम निम्नानुसार हैं-
एकीकृत वृद्धजन कार्यक्रम के अंतर्गत सहायता प्राप्त करने के लिए गैर सरकारी संगठनों की पात्रता हेतु क्या मानदंड हैं?
उत्तर: गैर-सरकारी स्वैच्छिक संगठन को, एक उचित अधिनियम के अंतर्गत एक पंजीकृत निकाय होना चाहिए ताकि इसे कारपोरेट स्तर और कानूनी रूप प्राप्त हो जाए तथा इसके कार्यकलापों के लिए एक समूह दायित्व स्थापित हो सके।
जनशक्ति को प्रशिक्षण:
वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए संगठनों के कामगारों तथा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण तथा ओरिएन्टेशन हेतु मंत्रालय द्वारा क्या सुविधाए प्रदान की जाती हैं?
उत्तर: वरिष्ठ नागरिकों को सेवाएं प्रदान करने के लिए संगठनों के कामगारों तथा स्वयं सेवकों को प्रशिक्षण तथा ओरिएन्टेशन हेतु मंत्रालय द्वारा प्रदत्त सुविधाएं निम्नानुसार है।
जीवन और संपति की रक्षा
वृद्ध व्यक्तियों के विरूद्ध अपराध में अचानक हुई बढ़ोतरी के आलोक में मंत्रालय द्वारा वृद्ध व्यक्तियों के जीवन और सम्पति की रक्षा करने के लिए क्या कदम उठाए गए हैं?
उत्तर: यह मामला कानून व्यवस्था के अंतर्गत आता है जो राज्य विषय है। तथापि, मंत्रालय ने सभी राज्यों/संघ राज्य क्षेत्रों के पुलिस महानिदेशकों को वृद्ध व्यक्तियों के जीवन और सम्पति की रक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त उपाय करने के लिए कहा है।
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ड्रगप्रभाग
मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण की योजना के बारे मेंप्राय: पूछे जाने वाले प्रश्न
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने नशीली दवा दुरुपयोग को मनो-सामाजिक चिकित्सा समास्या माना है जिसे गैर-सरकारी संगठनों/समुदाय आधारित संगठनों की सक्रिय भागीदारी द्वारा परिवार/समुदाय आधारित दृष्टिकोण को अपनाकर सर्वोत्तम तरीके से दूर किया जा सकता है। मांग में कमी की त्रिआयामी रणनीति इस प्रकार है:
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय वर्ष 1985-86 से मद्यपान तथा नशीले पदार्थ (दवा) दुरुपयोग निवारण की योजना का कार्यान्वयन कर रहा है।
इस योजना के तहत, अनुमत: व्यय की 90% तक राशि वित्तीय सहायता के रूप में स्वैच्छिक संगठनों तथा अन्य पात्र एजेंसियों को एकीकृत व्यसनी पुनर्वास केन्द्र (आईआरसीए) की स्थापना करने/संचालन करने के लिए प्रदान की जाती है। पूर्वोत्तर राज्यों, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर के मामले में, सहायता की राशि कुल अनुमत व्यय का 95% है। एक सहायता प्राप्त संगठन को 5 वर्षों के लिए वित्तीय सहायता के बाद गैर-सरकारी संगठनों के लिए अनुदानों को चरणबद्ध करने के संबंध में मंत्रालय के समान दिशा-निर्देशों के अनुरूप अनुदान प्रदान किया जाएगा। विश्वविद्यालय, समाज कार्य से सम्बद्ध विद्यालय तथा ऐसी अन्य उच्च शिक्षा संस्थाएं अनुमत व्यय की शत-प्रतिशत प्रतिपूर्ति के लिए पात्र होंगे।
यह योजना दिनांक 1 जनवरी, 2015 से संशोधित कर दी गई है तथा मंत्रालय की वेबसाइट पर अपलोड कर दी गई है।
IV कार्य स्थल निवारण कार्यक्रम (डब्ल्यूपीपी)
V नशामुक्ति शिविर (एसीडीसी)
VI. नशीली दवा दुरुपयोग निवारण हेतु गैर सरकारी संगठन मंच
VII. समुदाय आधारित पुनर्वास को सुदृढ़ करने के लिए नवीन हस्तक्षेप
VIII. तकनीकी विनिमय और जनशक्ति विकास कार्यक्रम
IX. योजना के अंतर्गत शामिल विषयों के बारे में सर्वेक्षण, अध्ययन, मूल्यांकन और अनुसंधान ।
वे संगठन जो पात्र होते हैं और जिनके पास नशा-मुक्ति कार्यक्रमों का पर्याप्त अनुभव है, सहायता अनुदान के लिए आवेदन कर सकते हैं । सामान्यत: वे तीन वर्ष से अस्तित्व में होने चाहिए। मंत्रालय से अनुदान प्राप्त करने हेतु पात्र होने के लिए एक संगठन की सिफारिश के लिए निम्नलिखित पैरामीटरों को ध्यान में रखा जाता है:
इस मंत्रालय अथवा क्षेत्रीय संसाधन और प्रशिक्षण केंद्र के अधिकारी, जब भी मंत्रालय द्वारा निदेश दिया जाता है, केंद्रों का निरीक्षण करते हैं ।
जब कभी किसी अनुदानग्राही संगठन पर अनुदानों के दुरुपयोग किए जाने का आरोप लगाता है
संगठन उन सेवाओं के लिए धनराशि नहीं ले सकते हैं जिनके लिए संस्वीकृत बिस्तरों में सहायता अनुदान प्रदान किया जाता है। सहायता अनुदान स्थापना प्रभारों, किराया, साधारण दवाओं, स्थानीय परिवहन, भोजन एवं आकस्मिक सेवाओं इत्यादि के लिए योजना के अनुरूप प्रदान किया जाता है।