राजभाषा अधिनियम, 1963
(यथासंशोधित,1967)
(1963का अधिनियम संख्यांक19)
[10th May, 1963]
उन भाषाओं का,जो संघ के राजकीय प्रयोजनों,संसद में कार्य के संव्यवहार,केन्द्रीय और राज्य अधिनियमों और उच्च न्यायालयों में कतिपय प्रयोजनों के लिए प्रयोग में लाई जा सकेंगी,उपबन्ध करने के लिए अधिनियम ।भारत गणराज्य के चौदहवें वर्ष में संसद द्वारा निम्नलिखित रूप में यह अधिनियमित होः-
2. परिभाषाएं--इस अधिनियम में जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो,
(क)'नियत दिन'से,धारा3के सम्बन्ध में,जनवरी, 1965का26वां दिन अभिप्रेत है और इस अधिनियम के किसी अन्य उपबन्ध के सम्बन्ध में वह दिन अभिप्रेत है जिस दिन को वह उपबन्ध प्रवृत्त होता है;
(ख)'हिन्दी'से वह हिन्दी अभिप्रेत है जिसकी लिपि देवनागरी है।
3. संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए और संसद में प्रयोग के लिए अंग्रेजी भाषा का रहना--
संविधानकेप्रारम्भसेपन्द्रहवर्षकीकालावधिकीसमाप्तिहोजानेपरभी,हिन्दीकेअतिरिक्तअंग्रेजीभाषा,नियतदिनसेही,
(क)संघ के उन सब राजकीय प्रयोजनों के लिए जिनके लिए वह उस दिन से ठीक पहले प्रयोग में लाई जाती थी;तथा
(ख) संसद में कार्य के संव्यवहार के लिए प्रयोग में लाई जाती रह सकेगी:
परंतु संघ और किसी ऐसे राज्य के बीच,जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है,पत्रादि के प्रयोजनों के लिए अंग्रेजी भाषा प्रयोग में लाई जाएगीः
परन्तु यह और कि जहां किसी ऐसे राज्य के,जिसने हिन्दी को अपनी राजभाषा के रूप में अपनाया है और किसी अन्य राज्य के,जिसने हिन्दी कोअपनी राजभाषा के रूप में नहीं अपनाया है,बीच पत्रादि के प्रयोजनों के लिए हिन्दी को प्रयोग में लाया जाता है,वहां हिन्दी में ऐसे पत्रादि के साथ-साथ उसका अनुवाद अंग्रेजी भाषा में भेजा जाएगा:
4 .राज भाषा के सम्बन्ध में समिति-
(1) जिस तारीख को धारा3प्रवृत्त होती है उससे दस वर्ष की समाप्तिके पश्चात,राजभाषा के सम्बन्ध में एक समिति,इस विषय का संकल्प संसद के किसी भी सदन में राष्ट्रपति की पूर्व मंजूरी से प्रस्तावित और दोनों सदनों द्वारा पारित किए जाने पर,गठित की जाएगी।
(2) इस समिति में तीस सदस्य होंगे जिनमें से बीस लोक सभा के सदस्य होंगे तथा दस राज्य सभा के सदस्य होंगे,जो क्रमशः लोक सभा के सदस्यों तथा राज्य सभा के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा निर्वाचित होंगे।
(3) इस समिति का कर्तव्य होगा कि वह संघ के राजकीय प्रयोजनों के लिए हिन्दी के प्रयोग में की गई प्रगति का पुनर्विलोकन करें और उस पर सिफारिशें करते हुए राष्ट्रपति को प्रतिवेदन करें और राष्ट्रपति उस प्रतिवेदन को संसद् के हर एक सदन के समक्ष रखवाएगा और सभी राज्य सरकारों को भिजवाएगा ।
(4) राष्ट्रपति उपधारा(3) में निर्दिष्ट प्रतिवेदन पर और उस पर राज्य सरकारों ने यदि कोई मत अभिव्यक्त किए हों तो उन पर विचार करने के पश्चात् उस समस्त प्रतिवेदन के या उसके किसी भाग के अनुसार निदेश निकाल सकेगा:
5. केन्द्रीय अधिनियमों आदि का प्राधिकृत हिन्दी अनुवाद-
(1) नियत दिन को और उसके पश्चात् शासकीय राजपत्र में राष्ट्रपति के प्राधिकार से प्रकाशित--
(क)किसी केन्द्रीय अधिनियम का या राष्ट्रपति द्वारा प्रख्यापित किसी अध्यादेश का,अथवा
(ख) संविधान के अधीन या किसी केन्द्रीय अधिनियम के अधीन निकाले गए किसी आदेश,नियम,विनियम या उपविधि का हिन्दी में अनुवाद उसका हिन्दी में प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा ।
(2) नियत दिन से ही उन सब विधेयकों के,जो संसदके किसी भी सदन में पुरःस्थापित किए जाने हों और उन सब संशोधनों के,जो उनके समबन्ध में संसद के किसी भी सदन में प्रस्तावित किए जाने हों,अंग्रेजी भाषा के प्राधिकृत पाठ के साथ-साथ उनका हिन्दी में अनुवाद भी होगा जो ऐसी रीति से प्राधिकृत किया जाएगा,जो इस अधिनियम के अधीनबनाए गए नियमों द्वारा विहित की जाए।
6. कतिपय दशाओं में राज्य अधिनियमों का प्राधिकृत हिन्दी अनुवाद
जहां किसी राज्य के विधानमण्डल ने उस राज्य के विधानमण्डल द्वारा पारित अधिनियमों में अथवा उस राज्य के राज्यपाल द्वारा प्रख्यापित अध्यादेशों में प्रयोग के लिए हिन्दी से भिन्न कोई भाषा विहित की है वहां,संविधान के अनुच्छेद348के खण्ड(3) द्वारा अपेक्षित अंग्रेजी भाषा में उसके अनुवाद के अतिरिक्त,उसका हिन्दी में अनुवाद उस राज्य के शासकीय राजपत्र में,उस राज्य के राज्यपाल के प्राधिकार से,नियत दिन को या उसके पश्चात् प्रकाशित किया जा सकेगा और ऐसी दशा में ऐसे किसी अधिनियम या अध्यादेश का हिन्दी में अनुवाद हिन्दी भाषा में उसका प्राधिकृत पाठ समझा जाएगा।
7 .उच्चन्यायालयों के निर्णयों आदि मेंहिन्दी या अन्य राज भाषा का वैकल्पिक प्रयोग-
नियत दिन से ही या तत्पश्चात् किसी भी दिन से किसी राज्य का राज्यपाल,राष्ट्रपति की पूर्व सम्मति से,अंग्रेजी भाषा के अतिरिक्त हिन्दी या उस राज्य की राजभाषा का प्रयोग,उस राज्य के उच्च न्यायालय द्वारा पारित या दिए गए किसी निर्णय,डिक्री या आदेश के प्रयोजनों के लिए प्राधिकृत कर सकेगा और जहां कोई निर्णय,डिक्री या आदेश(अंग्रेजी भाषा से भिन्न) ऐसी किसी भाषा में पारित किया या दिया जाता है वहां उसके साथ-साथ उच्च न्यायालय के प्राधिकार से निकाला गया अंग्रेजी भाषा में उसका अनुवाद भी होगा।
8. नियम बनाने की शक्ति-
(1) केन्द्रीय सरकार इस अधिनियम के प्रयोजनों को कार्यान्वित करने के लिए नियम,शासकीय राजपत्र में अधिसूचना द्वारा,बना सकेगी ।
(2) इस धारा के अधीन बनाया गया हर नियम,बनाए जाने के पश्चात् यथाशीघ्र,संसद के हर एक सदन के समक्ष,जब वह सत्र में हो,कुल तीस दिन की अवधि के लिए रखा जाएगा। वह अवधि एक सत्र में,अथवा दो या अधिक आनुक्रमिक सत्रों में पूरी हो सकेगी । यदि उस सत्र के या पूर्वोक्त आनुक्रममिक सत्रों के ठीक बाद के सत्र के अवसान के पूर्व दोनों सदन उस नियम में कोई परिवर्तन करने के लिए सहमत हो जाएं तो तत्पश्चात वह ऐसे परिवर्तित रुप में ही प्रभावी होगा । यदि उक्त अवसान के पूर्व दोनों सदन सहमत हो जाएं कि वह नियम नहीं बनाया जाना चाहिए तो तत्पश्चात यह निस्प्रभाव हो जाएगा । किन्तु नियम के ऐसे परिवर्तित या निस्प्रभाव होने से उसके अधीन पहले की गई किसी बात की विधिमान्यता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा ।
9. कतिपय उपबन्धों का जम्मू-कश्मीर को लागू न होना-
धारा6और धारा7के उपबन्ध जम्मू-कश्मीर राज्य को लागू न होंगे।