नीतियां/अधिनियम/नियम/संहिताएं/परिपत्र
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के विषय/क्षेत्रों पर कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों को प्रायोजित करने के लिए सामान्य नीति-निर्देश
I. समाज के प्रतिकूल परिस्थितिग्रस्त तथा अधिकारहीन वर्गों अर्थात् अनुसूचित जातियों, अल्पसंख्यकों, अन्य पिछड़ा वर्गों, ऐसे बच्चे जिन्हें देखभाल और संरक्षण की जरूरत है, वृद्ध व्यक्तियों तथा मद्यपान और नशीली दवाओं के दुरुपयोग से पीड़ितों की आर्थिक तथा सामाजिक अधिकारिता से संबंधित विशिष्ट क्षेत्रों/मुद्दों पर राष्ट्रीय/राज्य/अंतर्राष्ट्रीय स्तर कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलन के आयोजन के लिए किसी संस्था या संस्थाओं के समूह को अनुदान दिया जा सकता है जो आयोजना, कार्यक्रमण तथा कार्यान्वयन की समीक्षा में मदद करेगा। कार्यशालाएं/सेमिनार/सम्मेलन से अनुसंधान निष्कर्षों के प्रचार-प्रसा समस्या क्षेत्रों की पहचान, नई सामाजिक समस्याओं पर विचार-विमर्श करने में मदद करेगी ताकि उपचारात्मक उपायों की पहचान की जा सके। ये वर्तमान कार्यक्रमों या शुरू किए गए नए कार्यक्रमों के पुनः अनुकूलन के लिए जहां तत्काल सुधारात्मक कार्रवाई आवश्यक है वहां टिप्पणियों पर ध्यान देते हुए विशेष सिफारिशें देंगी।
II. विश्वविद्यालय, अनुसंधान संस्थान, व्यावसायिक संघ एवं स्वैच्छिक संगठन जिनका समाज कल्याण तथा सामाजिक विकास के संबंधित क्षेत्र में और संस्था की स्थापना का लंबा अनुभव है और जो पूर्णतः केन्द्र सरकार/राज्य सरकार/सा.क्षे.उ. द्वारा वित्त पोषित हैं वे कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों के आयोजनों के लिए पात्र हैं।
III. संबंधित विषय/कार्यक्रम को देखने वाले मंत्रालय के प्रतिनिधियों को इनके द्वारा आयोजित कार्यशालाओं/सेमीनार/सम्मेलन में भाग लेना चाहिए।
IV. राष्ट्रीय/राज्य/अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलन आयोजन के लिए प्रस्तावक स्वतः पूर्ण और स्पष्ट होना चाहिएतथा इसके निम्नलिखित का उल्लेख हो :-
- कार्यशाला/सेमिनार/सम्मेलन का मुख्य विषय/विषय-वस्तु।
- योगदान को स्पष्ट रूप से दर्शाते हुए महत्व/प्रयोजन जिसके लिए प्रस्तावित सेमिनार/कार्यशाला की जानी है;
- विचार-विमर्श के लिए प्रस्तावित विषय/विषय-सूची
- प्रबुद्ध व्यक्तियों/मेहमान वक्ताओं/प्रतिभागियों की सूची तथा उनके पते
- अवधि तथा स्थान
- निर्धारित कार्यक्रम
- राष्ट्रीय/राज्य स्तर कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों के लिए निम्नलिखित शीर्ष के अंतर्गत प्रत्येक के लिए पूर्ण औचित्य देते हुए बजट दिया जाना चाहिए।
- प्रबुद्ध व्यक्तियों/मेहमान वक्ताओं (20 व्यक्तियों तक सीमित) का यात्रा व्यय (प्रथम श्रेणी या द्वितीय वातानुकूल, शयन श्रेणी रेल द्वारा)।
- एनजीओ से प्रतिभागियों का यात्रा व्यय (II श्रेणी रेल भाड़ा/बस भाड़ा) 30 व्यक्तियों तक सीमित।
- आवास और भोजन पर व्यय।
- मेहमान वक्ताओं/प्रबुद्ध व्यक्तियों को मानदेय (एक पेपर प्रस्तुत करने के लिए 500/- प्रति व्याख्यान की दर से)
- सेमिनार हाल के लिए किराया, माइक तथा अन्य प्रबंध।
- सेमिनार सामग्री/फोल्डर/साइक्लोस्टाइलिंग/फोटो कापी प्रभार।
- चाय/काफी तथा लंच का प्रबंध।
- अंतिम सिफारिशों के साथ प्रस्तुत किए गए कागजातों में विहित रिपोर्ट को तैयार करना।
- आकस्मिक व्यय (डाक, स्टेशनरी, टेलीफोन शुल्क तथा अन्य आकस्मिक व्यय सहित।
- III
- . उपर्युक्त मद पर बजट को मंत्रालय द्वारा वास्तविक आवश्यकताओं और कार्यशाला/सेमिनार के दिनों की संख्या के अनुसार स्वीकृत किया जाएगा।
- सीमित बजट प्रावधान को ध्यान में रखते हुए सेमिनारों/कार्यशालाओं को आयोजित करने के लिए सहायता एक सीमित रूप में, अनुदान की अधिकतम राशि 1 लाख रु. तक, प्रदान की जाएगी।
- स्वीकृत राशि से अधिक अतिरिक्त व्यय को संबंधित संस्थान/संगठन द्वारा स्वयं वहन किया जाएगा।
- कार्यशाला/सेमिनार के लिए अनुदान इसे आयोजित करने वाले संस्थान के शीर्ष के माध्यम से उपलब्ध कराया जाएगा जो इनके लिए सहमत होगाः
- भौतिक सुविधाओं की व्यवस्था;
- इस प्रयोजन के लिए प्राप्त हुए वित्त की व्यवस्था एवं प्रबंध करना;
- मंत्रालयीय तथा प्रबंधकीय सहायता की व्यवस्था; तथा
- कार्यशाला/सेमिनार आयोजित करना।
- अनुदानों के लिए आवेदन कर रहे गैर-विश्व विद्यालय संगठनों को अपने प्रस्तावों को राज्य सरकार के संबंधित विभाग के माध्यम से आवश्यक सिफारिशों के साथ भेजना चाहिए। उन्हें निम्नलिखित दस्तावेज़ संलग्न करने चाहिए।
- पंजीकरण की प्रति
- वार्षिक रिपोर्ट (नवीनतम)
- पिछले दो वर्षों के लेखों का लेखा परीक्षित विवरण (प्राप्ति एवं भुगतान विवरण एवं तुलन पत्र)
- संगम ज्ञापन का अनुच्छेद
- पदधारियों की सूची
- सामाजिक विज्ञान अनुसंधान तथा समाज विकास में किए गए कार्य का संक्षिप्त सार।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं/सेमिनार/सम्मेलनों पर विचार दो लाख रु. की अधिकतम सीमा के आंशिक वित्त पोषण को ध्यान में रखकर किया जाएगा बशर्ते की प्रस्तावित सम्मेलन का विषय मंत्रालय द्वारा देखे जाने वाले विषयों के अंतर्गत आता हो।
- अंतर्राष्ट्रीय कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों का आयोजन कर रहे संबंधित संस्थान को गृह मंत्रालय तथा विदेश मंत्रालय से सुरक्षा तथा राजनीतिक दृष्टिकोणों से अनापत्ति/पूर्व अनुमति प्राप्त करनी चाहिए। मंत्रालय आवश्यक अनापत्ति के पश्चात् ही अनुदान के अनुरोध पर विचार कर सकता है।
- राज्य/राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित की गई कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों को मंत्रालय की स्कीमों/कार्यक्रमों के विचार-विमर्श हेतु नियमित प्रकृति का नहीं होना चाहिए बल्कि इसके कार्यान्वयन में आ रही समस्याओं पर विचार-विमर्श करना तथा आवश्यक सिफारिशों के साथ वर्तमान कार्यक्रमों के पुनः अनुकूलन के लिए सुधारात्मक कार्रवाई का सुझाव देना है।
- मंत्रालय के विषय क्षेत्रों से संबंधित विशिष्ट विषय पर विचार-विमर्श को छोड़कर संस्थान के क्रियाकलापों की वार्षिक प्रगति पर विचार-विमर्श के लिए और न ही सामान्य मुद्दों के लिए कोई सहायता अनुदान दिया जाएगा।
- संबंधित अनुमोदित संस्थान को सहायता अनुदान दो किस्तों में जारी किया जाएगा। अनुमोदित अनुदान का 75% कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों के आयोजन से पूर्व प्रथम किस्त के रूप में प्रदान किया जाएगा तथा अनुदान के शेष 25% को कार्यशाला/सेमिनार/सम्मेलनों को आयोजित करने के लिए 30 दिनों के भीतर दस्तावेजों तथा सिफारिशों के साथ कार्यशालाओं/सेमिनारों/सम्मेलनों की विस्तृत रिपोर्ट और लेखों के लेखापरीक्षित विवरणों तथा उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के पश्चात् जारी किया जाएगा।
- III
- . संस्थान को कार्यशाला/सेमिनार/सम्मेलन के आयोजन के 30 दिनों के भीतर सिफारिशों के साथ कार्यशाला/सेमिनार/सम्मेलनों के कागजात की 3 प्रतियां प्रस्तुत करनी चाहिएं।
- . कार्यशाला/सेमिनार/सम्मेलन के लिए सहायता अनुदान प्राप्त करने वाले संस्थान को मंत्रालय जिसे कार्यशाला/सेमिनार/सम्मेलन की रिपोर्ट को प्रकाशित करने का प्रथम अधिकार है, की पूर्व अनुमति के बिना सिफारिशों को प्रकाशित नहीं करना चाहिए। यदि यह ऐसा करने का निर्णय लेता है, तो रिपोर्ट की स्वीकृति के साथ संबंधित संस्थान को स्थिति से अवगत कराया जाएगा।